उम्र तेरी यूं ही गुज़र जाएगी दुनियादारी सीखते - सीखते !
ज़रूरत है तुम्हें ज़िंदगी का असल मक़सद जानने की !!
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दुनियादारी निभाते तेरी उम्र गुज़र जाएगी !
कभी ज़िंदगी के सपने सजा कर देखो तुम !!
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दुनियादारी का खेल आसान नहीं है प्यारे !
एक उम्र गुज़र जाती है लोगों की सीखने में !!
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दुनियादारी से भागकर जीना आसान नहीं !
ज़िंदगी जीनी है तो दुनियादारी सीखो तुम !!
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दुनियादारी सीख गए हो तुम प्यारे !
अब अपना घर परिवार सजा लो तुम !!
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दुनियादारी की कक्षाएं स्कूल में नहीं लगती !
घर परिवार व समाज ही पाठशाला है इसकी !!
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खेत और मकान के बंटवारे की बात करने लगे तुम !
अब पक्का यक़ीन है मुझको दुनियादारी सीख गए तुम !!
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मिलने लगे सम्मान जिस दिन से दुनिया में !
समझ लेना उसी दिन दुनियादारी अच्छी है !!
******************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !