मन मंदिर में वैचारिक प्रदूषण आ जाएं तो !
मन मंदिर की साफ-सफाई भी ज़रूरी है !!
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तुम्हारे मन को कभी मलिन होने नहीं दूंगा !
मन मंदिर के एक कोने में मुझे बसाए रखो !!
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अपने मन मंदिर में पूजा करने की इजाज़त दे दो मुझको !
क्या पता तुम्हारे भी मन को मेरे मन से प्रेम हो जाए !!
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तमन्ना है तुम्हारे मन मंदिर की घंटी बजाने की !
तुम बताओ इबादत इस तरह मंजूर है तुमको !!
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मन मंदिर का प्रसाद बांट देने से कुछ कम नहीं होगा !
जहाँ तक हो सके सुविचारों का प्रसाद बांटते चलो !!
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तन के साथ-साथ मन मंदिर का श्रृंगार ज़रूरी है ज़िंदगी में !
मगर यह काम इतना आसान नहीं जो कर ले हर कोई !!
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तेरे मन मंदिर में हर शाम दीपक जलाना मंजूर है मुझको !
शर्त है मगर मेरे मन मंदिर में एक दीपक जलाओ तुम भी !!
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मन में गंदगी लेकर जीना अच्छा नहीं प्यारे !
अपने मन मंदिर को पावन क्यों नहीं रखते !!
************************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !