कोवीड प्रोटोकाल की जागरूकता और सावधानियों से हम मौतों की संख्या कम किया जा सकता है:-डा बी के वर्मा

 


बस्तीः कोरोना वायरस इस सदी का सबसे खतरनाक वायरस साबित हो रहा है। दूसरी लहर में वायरस के असर सीधे फेफड़े पर हो रहा है इसलिये मौतें भी ज्यादा हो रही हैं। ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और अस्थमा से पहले से परेशान मरीजों का कोविड पाजिटिव होना बेहद खतरनाक है। फिर भी जागरूकता और सावधानियों से हम मौतों की संख्या कम कर सकते हैं। 

यह बातें जिला अस्पताल में तैनात आयुष चिकित्साधिकारी डा. वी.के. वर्मा ने कहीं। उन्होने आगे कहा कि बार बार सरकार, प्रशासनिक अधिकारियों और समाजसेवियों की ओर से इस बात की अपील की जा रही है कि बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर निकलें। लेकिन इसके बावजूद लोग बेवजह घर से निकल रहे हैं। सड़क पर चेकिंग के दौरान दूनिया भर के बहाने बनाते हैं। सड़कों पर आवाजाही देखकर ऐसा नही लगता कि इतने सारे लोगों को इमरजेंसी है। फिलहाल सरकार के पास इतना संसाधन और मैनपावर नहीं है कि इस भयंकर त्रासदी से निपट सके। इसलिये बेहतर होगा सेफ जोन में रहकर खुद को बचाइये और दूसरों को भी। 

फेफड़ों पर अटैक करता है वारस

आयुष विभाग के नोडल अधिकारी डा. वीके वर्मा ने कहा कि होमियोपैथी में कोरोना वायरस को हराने की पूरी शक्ति है। उन्होंने बताया कि इस बार का संक्रमण फेफडों को ज्यादा प्रभावित कर रहा है जिससे रोगियों में ऑक्सीजन की कमी हो जा रही है और उन्हें कृत्रिम ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। डॉ. वर्मा का कहना है कि कोरोना बीमारी में सबसे ज्यादा श्वसन तंत्र ही प्रभावित होता है। क्षतिग्रस्त श्वसनतंत्र कोरोना वॉयरस को शरीर में पनपने का उपयुक्त वातावरण उपलब्ध कराता है।

जानिये संक्रमन के लक्षण

कोरोना से बचाव के लिये इसके लक्षण और उपचार से जुड़ी जानकारियां हर व्यक्ति को होनी चाहिये। बुखार,

सूखी खाँसी, थकान इसके सबसे आम लक्षण हैं। शरीर में दर्द, गले में खराश, दस्त, आँख आना, सरदर्द, 

स्वाद या गंध का अहसास न होना, त्वचा पर एक दाने, या उंगलियों या पैर की उंगलियों को काटना आदि संक्रमण के सामान्य लक्षण हैं। जबकि सांस लेने में कठिनाई या सीने में दर्द अथवा दबाव संक्रमण के गंभीर लक्षण हैं जो जानलेवा हो सकते हैं।

मेंन्टेन रखें आक्सीजन लेवल

आक्सीजन लेवल बनाये रखने के लिये एस्पिडोस्पर्मा कारगर हो सकता है। इस औषधि के प्रभाव से खून में यूरिया बढ़ जाती है जिसके कारण श्वास से संबन्धित अनेक रोग, दमा रोग ठीक हो जाता है। यह श्वास केन्द्रों को उत्तेजित करती है और रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। प्राणायाम से फेफड़ा मजबूत होगा है और श्वसन तंत्र बेहतर रहता है। 

आर्सेनिक एलबम है बेस्ट इम्यूनिटी बूस्टर

डा. वी.के. वर्मा का कहना है कि सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड ने कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए होम्योपैथी की ’आर्सेनिक एल्बम-30’ को 3 दिन तक खाली पेट लेने पर कारगर माना है। नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ने इस संबंध में आईसी एमआर को जानकारी भेजी है। 

नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ने इस संबंध में आईसी एमआर को जानकारी भेजी है। लखनऊ के 10 हजार लोगों पर इसका ट्रायल कामयाब रहा। इसके साइड इफेक्ट नही पाये गये। सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी के पूर्व असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ. एके गुप्ता ने बताया कि जीआरपी चारबाग में जब 11 सिपाही संक्रमित हुए तब वहां 200 लोगों को दवा बांटी गई। उस वक्त 25 लोग अनुपस्थित थे, जो दवा नहीं पाए। बाद में इन्हीं 25 में पॉजिटिव के लक्षण मिले। दवा लेने वाले सभी 200 सिपाही सुरक्षित हैं। 

डा.वी.के. वर्मा

मो.न. 9415163328