सहजता और सरलता में इंसान की खुशियां हैं !
आडंबर की दुनिया में सुखी कौन है पूछो मत !!
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जहाँ भी देखो आडंबर का ही बोलबाला है !
सादगी तो लोगों के लिए मज़ाक बन बैठी !!
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यूं तो बड़े शौक से गुजार लेता वह ज़िंदगी को मगर !
आडंबर के चक्कर में बिगड़ गया हुलिया उसका !!
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प्रेम बंधन को शादी का हथियार समझो तुम !
आडंबर के लिए पैसा बहाने की ज़रूरत क्या !!
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कदम-कदम पर दिखेगा आडंबर तुमको !
आख़िर हिंदुस्तान से गरीबी दूर हो भी तो कैसे !!
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मस्त हैं नौजवान यहाँ के आडंबर पूर्ण ज़िंदगी में !
हक़ीक़त की ज़िंदगी में सुख कितना बताए कौन !!
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भला नहीं होगा तुम्हारा आडंबर से कभी भी !
अच्छा है कि लौट आओ अपने पुराने ढर्रे पर !!
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बड़ी-बड़ी बातें करने में भरोसा नहीं मुझको !
आडंबर ने तो मेरा जीना ही मुहाल कर दिया !!
***************** तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकर नगर उत्तर प्रदेश !