अपनी कविताओं में आम आदमी का दर्द बयां कर दो तुम -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु

 

कविता लिखना - पढ़ना हर किसी के वश में नहीं ! 

कविता लिखने - पढ़ने को ज़िंदा ज़मीर चाहिए !! 

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यूं कविता को मनोरंजन का विषय बनाना ठीक नहीं ! 

कविता जो समाज को आईना दिखाए उसे अच्छी समझो !! 

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यूं क्या पूछते हो मुझसे मेरी कविता का भविष्य तुम ! 

मेरी कविता दिल लगाकर सुनो तो शायद जान जाओ !! 

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यूं तो इस दौर में कवियों की बहुत भीड़ है ! 

एक सच है मगर चंद लोग लिखते हैं कविता !! 

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तुम्हारी कविता सुनकर ऐसा लगता है ! 

हमें ख़ुशी से ताली बजा देनी चाहिए !! 

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यूं तो लिख रहे हो कविता बड़े शौक से तुम ! 

शौक से कविता पढ़ी भी जाए तो अच्छा है !! 

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कविताओं का बाज़ार खोज रहा है बहुत दिनों से वह ! 

ताज्जुब है अभी तक कविताओं का बाज़ार मिला नहीं उसे !! 

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बड़ी हैरत है मुझको कवियों का सच कहूं भी तो किससे ! 

कविता लिखने वालों को भी औरों की कविता सुनना पसंद नहीं !!

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अपनी कविताओं में आम आदमी का दर्द बयां कर दो तुम ! 

मेरा वादा है तुम्हारी कविताओं का बाज़ार बन जाएगा !! 

******************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !