फूल और कांटो के दरमियां गुजरती है ज़िंदगी सबकी !
फूल और कांटे दोनों ही ज़िंदगी की क़ीमत बताते हैं !!
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फूल खिल कर लोगों को मुस्कुराने का संदेश देते हैं !
मगर कांटे तो फूलों की हिफाज़त का संदेश देते हैं !!
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फूल मिले हैं ज़िंदगी में तो कांटे भी ज़रूर मिलेंगे !
फूल और कांटे का याराना यह दुनिया जानती है !!
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तुम चाहो तो मुझसे रिश्ता जोड़ सकते हो !
मैं वह फूल नहीं जो कांटों की दुर्दशा देखूं !!
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तुम्हारे शहर में फूलों की तमाम दुकानें देखी हैं हमने !
हमारे गांव में फूल और कांटे साथ-साथ मिलते हैं !!
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ज़िंदगी का कोई तौर तरीका मुझको भी बताओ !
हमें कभी फूल तो कभी कांटे दोनों तंग करते हैं !!
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भला मैं कैसे कहूं तुमसे कि मैं बहुत परेशान हूं !
मेरे पास फूल हैं तुम्हारे पास तो कांटे ही कांटे !!
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ज़िंदगी की जंग में मेरा साथ देगा कौन !
यूं तो मेरे पास फूल और कांटे दोनों हैं !!
***************** तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !