दीपावली के दीए घरों की छत पर जगमगा रहे हैं ऐसे !
एक नज़र देखो तो आंखों में खुशियां भर जाती हैं !!
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बेशक हैं दीवाली की खुशियां तुम्हारे दिल में बहुत सारी !
मगर पटाखों के शोर में औरों की खुशी का ख़याल रखो !!
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दीपावली में किसी की रोजी-रोटी में मददगार हो जाना तुम !
दुआ ले गरीबों की अपना दामन खुशियों से आबाद कर लेना !!
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धनवान लोगों की खुशियों का कोई पैमाना नहीं है दुनिया में !
दीवाली में अंधाधुंध पटाखे फोड़ गरीब का मजाक मत उड़ाना !!
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तुम्हारे शहर की दीवाली में पटाखों की गूंज शामिल है !
हमारे गांव में मिट्टी के दीए और और घरों में पूजा की धूम है !!
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पूरी पकवान मक्खन मलाई खा कर खुद सो गए तो कैसी दीवाली !
बांटो मिठाई खुशियों की पड़ोसियों के संग यही असली दीवाली है !!
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हर किसी के भले में ही अपनी भलाई तय समझो !
बात समझ में आ जाए जिस दिन समझो दीवाली है !!
*****************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश ! संपर्क सूत्र - 9450489518