इसे फुर्सत से पढ़ना तुम्हारी तक़दीर का सवाल है -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु

लिखे जज़्बात हैं सारे मेरा पत्र पढ़ कर देख लो तुम ! 


मन कहे यदि तुम्हारा तो आकर घर बसा लो अपना !! 


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मेरे पत्र में लिखा हर शब्द मेरी रूह से निकला है ! 


इसे फुर्सत से पढ़ना तुम्हारी तक़दीर का सवाल है !! 


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अपनी महबूबा को पत्र लिखा करते थे पुराने आशिक़ !


इस दौर के आशिक़ व्हाट्सएप व मैसेंजर पर चैट करते हैं !! 


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बीते दिनों की बातें हैं पत्र लिखना पत्र पढ़ना !


आज तो वीडियो कॉलिंग है मगर वो बात नहीं !! 


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पुराने ज़माने में पत्रों के साथ प्रेम का प्रवाह होता था ! 


आज मोबाइल की दुनिया में मोहब्बत के साथ नफ़रत है !! 


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पत्र लिखना पत्र पढ़ना बहुत मायने रखता था रिश्तों को सजाने में ! 


वे बेशकीमती जज़्बात अब हैं ही कहाँ व्हाट्सएप की चैटिंग में !! 


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तुम्हारी खूबसूरती को बयां कर नहीं सकता व्हाट्सएप की चैटिंग में ! 


हां फुर्सत से पत्र लिखूं तेरे नाम तो यह काम पूरा हो !! 


*****************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकर नगर उत्तर प्रदेश !


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