नई दिल्ली, 25 अक्टूबर ।* ''नई शिक्षा नीति में दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम के तहत सभी दिव्यांग बच्चों के लिए अवरोध मुक्त शिक्षा मुहैया कराने की पहल की गई है।'' यह विचार भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक *प्रो. संजय द्विवेदी* ने रविवार को पुनरूत्थान ट्रस्ट द्वारा आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किये। इस विमर्श में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. आरपी सिंह कीनोट स्पीकर के तौर पर उपस्थित थे।
*‘दिव्यांग शिक्षा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’* विषय पर *मुख्य अतिथि* के तौर पर बोलते हुए *प्रो. द्विवेदी* ने कहा कि विशिष्ट दिव्यांगता वाले बच्चों को कैसे शिक्षित किया जाए, यह नई शिक्षा नीति का एक अभिन्न अंग है। दिव्यांग बच्चों के लिए सहायक उपकरण, उपयुक्त तकनीक आधारित उपकरण और भाषा शिक्षण संबंधी व्यवस्था करने की बात भी शिक्षा नीति में कही गई है।
*प्रो. द्विवेदी* ने कहा कि शिक्षा में बदलाव के बीच दिव्यांग बच्चों के लिए ऐसे शिक्षकों की जरुरत अधिक बढ़ी है, जो ऐसे विशेष बच्चों को शिक्षा देने के साथ साथ उन्हें किसी विशेष कौशल में निपुण भी बनाएं, ताकि बच्चों की जिंदगी आसान हो सके। *प्रो. द्विवेदी* ने इस मौके पर नई शिक्षा नीति के कोऑर्डिनेटर* प्रोफेसर एमके श्रीधर* को युवाओं का प्रेरणास्रोत बताया, जो स्वयं शारीरिक तौर पर 80 फीसदी दिव्यांग हैं।
दिव्यांगों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले नोल हेल्म का जिक्र करते हुए *प्रो. द्विवेदी* ने कहा कि दिव्यांग होने का मतलब ये नहीं है कि आप किसी कार्य को कर नहीं सकते, बल्कि आप उस कार्य को एक अलग और विशेष प्रकार से कर सकते हैं। और भारत की नई शिक्षा नीति दिव्यांगों के लिए इसी सोच पर बल देती है।
इस अवसर पर जेएनयू के प्रोफेसर *डॉ. आरपी सिंह* ने कहा कि नई शिक्षा नीति से पूरे विश्व को भारतीय दर्शन के बारे में पता चलेगा। उन्होंने कहा कि इस तरह के विमर्श का आयोजन कर समस्याओं का समाधान तलाशने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन पुनरूत्थान ट्रस्ट के चेयरमैन *प्रोफेसर डॉ. दिलीप कुमार* ने किया एवं मंच संचालन *प्रोफेसर डॉ. नीरज कर्ण* ने किया।