तेरे चेहरे का दाग़ तो कुछ महीनों में गायब हो जाएगा !
हां मगर तुम्हारे चरित्र का दाग़ ताउम्र नहीं छूटने वाला !!
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हंसते मुस्कुराते यूं तो बड़ी शान से कटी है अब तक की उम्र मेरी !
जिंदगी के सफ़र में कोई दाग़ ना लगे दामन पर बस यही ख्वाहिश है !!
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दाग़ ना लगे कोई ताउम्र आदमी की ज़िंदगी में !
सच कहूं जो बड़ी बात है इस दौर में बेदाग होना !!
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नमक रोटी खाकर मुस्कुराते हुए चल दिए जहां को छोड़कर !
मक्कारी का सहारा नहीं लिया कभी इतने खुद्दार थे वो !!
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बेदाग होकर महफ़िल में ठहाके लगा रहा था एक फकीर !
तमाम रईसजादे उसके चेहरे की मुस्कान के कायल निकले !!
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यूं तो दुनिया की नज़र में तेरा दामन दाग़दार है !
मगर तू बेदाग है खुद की नज़र में यही अच्छा है !!
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दाग़ धब्बों के लिए तो बहुत सी क्रीम है दवा खाने में !
दामन रहे बेदाग तेरा क्रीम ऐसी नहीं हकीम के पास !!
***************** तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !