मत पढ़ाओ शराफ़त का पाठ तुम हमको !
तुम्हारे चरित्र का हर एक पन्ना पढ़ा है मैंने !!
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अख़बार में देखो तो हर जगह लूटपाट दंगा फसाद है !
यारों क्या हमारे मुल्क में अब शराफ़त बची ही नहीं !!
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तुम्हारे मुंह से शराफ़त का क़िस्सा नहीं सुना मैंने !
कभी-कभी लूटपाट बलवा से इतर कुछ सुनाओ !!
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तुम्हारे शहर की कहानी सुनकर मन में एक ख़्याल आया !
क्यों ना शहर में एक मोहल्ला शरीफों का बसाया जाए !!
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तोड़ती रहेगी शराफ़त अगर यूं ही दम अपना !
तुम्हीं बताओ सुकून का एहसास किसको होगा !!
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शराफ़त का नमूना बने घूम रहे हो सरे बाज़ार तुम !
सोचो जो दबंगों की नज़र पड़ गई तुम पर तो क्या होगा !!
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अपराध की दुनिया में मर्दों का दम घुट रहा है !
तुम कहते हो औरत दुनिया पर शासन करेगी !!
****************** तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !