शहर - ए - वफ़ा का ज़िक्र मत करो मुझसे !
शहर की हर एक रिवायत से वाक़िफ़ हूं !!
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अब तो बहुत थक गया हूं मैं दिन भर घूमते घूमते !
क्या कुछ दिनों तक मुझको सुकून मिलेगा तुमसे !!
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मैं तुम्हारे नाम का ज़िक्र करते फिर रहा हूं सारे शहर में !
लोग खूबियां पूछ रहे हैं मुझसे क्या-क्या बताऊं उनको !!
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इस जीवन में हमें क्या हासिल हो पाएगा कुछ ठीक नहीं !
ज़माने की हवा इन दिनों कुछ अजीबोगरीब सी लगती है !!
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अपने दिल का हाल तुम्हें भला कैसे बताऊं मैं !
कभी-कभी दूसरों का भी दर्द समझा करो तुम !!
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तुम्हारे शहर की हर एक लड़की बड़े से प्यार से देखती है मुझको !
राखी के त्योहार में कलाई पर राखी बंधवा भाई बन गया सबका !!
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कदम दो कदम चल कर इधर-उधर देखने की आदत अच्छी नहीं !
नवाबों के खूबसूरत शहर में यह आदत तुम्हारी जान ले लेगी!!
************* तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !