दुनियादारी का खेल आसान नहीं है प्यारे !
दिल से ज्यादा दिमाग़ से खेलना पड़ता है !!
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तलाश है तुमको गुरु की जो दुनियादारी सिखाए !
मेरा मानो तो गुरु नहीं ये दुनिया खुद सिखा देगी !!
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दुनियादारी का ज्ञान अगर कुछ भी नहीं है तुमको !
हंसना बड़ा कठिन होगा इस पत्थर की दुनिया में !!
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मासूम बच्चे जब दुनियादारी की गणित सीख जाएंगे !
मैं पूछता हूं बताओ बच्चों के पापा का क्या हाल होगा !!
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यह ज़माना मेरे साथ ना तो हंसने को तैयार है ना ही रोने को !
मतलब यही समझो मुझे दुनियादारी का ज्ञान नहीं है कुछ भी !!
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दुनियादारी सीखने के लिए गुरु को फीस नहीं देते बेटा !
दुनियादारी का ज्ञान किस्तों में खुद बांटती है दुनिया !!
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आओ तुम्हें एक क़िस्सा सुनाते हैं बचपन का !
दुनियादारी में शायद बचपन भूल गया तुमको !!
************* तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !