स्वाभिमान की रस्मों का ज्ञान अगर होता सभी को आज !
शायद भारतीय समाज की तस्वीर इतनी मैली नहीं होती !!
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ज़िंदगी जीना ज़रूरी है सभी को मगर स्वाभिमान के साथ !
स्वाभिमान पर आई आंच इज़्ज़तदार को कुबूल नहीं कभी !!
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काम कैसा भी करो रोजी रोटी के लिए मगर !
स्वाभिमान ज़रूरी है तुम्हारे हर किरदार में !!
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बिगड़े दौर में हर किरदार पर संकट नज़र आता है !
स्वाभिमान की बातें ज़माने में अब करता ही कौन है !!
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स्वाभिमान ज़िंदा रहे तो आदमी की हर जगह इज़्ज़त है !
वरना इस खुदगर्ज़ ज़माने में इज़्ज़त की फ़िक्र है किसको !!
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अपने धर्म और संस्कृति के साथ अपना स्वाभिमान कायम रखो !
तुम्हारे किरदार में चमक आएगी वेद ,गीता और कुरान पढ़ कर !!
************* तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकर नगर उत्तर प्रदेश !