बस्ती। आज से सरकारी व कुछ अनुदानित व गैर सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों के अनिवार्य उपस्थिति पर सवाल खडा करते हुए समाजसेवी ने निम्न सवाल करते हुए पूंछा कि शिक्षकों व उनके परिजनों के संक्रमित होने की जिम्मेदारी कौन लेगा
1-जब स्कूलों में बच्चे 31जुलाई तक नहीं आयेंगें तो शिक्षक क्या स्कूल में बैठ कर ईंट गिनेंगें?
2-जब कोविड-19का सर्वाधिक प्रभाव बुजुर्गों के साथ 12वर्ष से कम बच्चों पर पडेगा तो क्या शिक्षिकाओं के साथ आने वाले बच्चों पर नहीं पडेगा?
3-स्कूल खोलकर शिक्षकों को बुला तो लिया गया है किन्तु जिन स्कूलों में बाहर से आने वाले लोगों को रखा गया था उन्हे सेनेटराईज किया गया है?
4-प्रा.वि.तो गांवों में ही स्थापित है क्या इतने दिनों बाद अपने शिक्षक शिक्षिका को देख बच्चे उनके पास नहीं आयेंगें?
5-यदि उपरोक्त बातों का ध्यान दिये बिना शिक्षकों का आगमन अनिवार्य किया गया है।तो यही माना जाय कि यदि शिक्षकों को वेतन लेना है तो कोरोना भी लेना होगा?
अब बडा सवाल यह कि सुरक्षा का ध्यान न देकर जिस तरह शिक्षकों को विद्यालय बुलाया गया है शिक्षकों व उनके परिजनों के कोरोना संक्रमित होने या किसी अप्रिय घटना के घटित होने की जिम्मेदारी जिला प्रसासन या शिक्षा विभाग लेगा अथवा सूबे की सरकार ?