हमें ज़रूरत नहीं किसी अस्त्र और शस्त्र की !!
मेरी लेखनी की धार बहुत ही तेज है प्यारे !!
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मैं अपनी लेखनी से कभी कोई सौदा नहीं करता !
दिल की आवाज़ सुनती आ रही है लेखनी मेरी !!
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मेरी लेखनी ने ही मुझको इस मुकाम पर पहुंचाया है !
शहर के बड़े सेठ साहूकार इज़्ज़त से नाम लेते हैं !!
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ब्लड प्रेशर और शुगर की बीमारी से अब तक बचे हुए हैं हम !
लेखनी से अपने दिल की आवाज़ बाहर निकाल देता हूं प्यारे !!
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ऐसे लोगों के ज़मीर और जज़्बात का ज़िक्र मैं क्या करूं !
जो अपनी लेखनी को गिरवी रख देते हैं मुंह मांगी रकम पाकर !!
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लेखनी का किरदार कुछ इस तरह फैला है दुनिया में !
तकनीकी दुनिया में भी किताबों से रिश्ता कायम है !!
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लेखनी की पूजा करता आ रहा हूं बचपन से !
मेरी पूजा फलित हुई है इसमें कोई शक नहीं !!
************* तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !