नई दिल्ली: ‘जैविक युद्ध क्षमता’ बनाने के लिए चीन और पाकिस्तान के बीच एक समझौते की खबर आई है, और इस समझौते से जुड़े दावों के केन्द्र में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी है. ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार एंथनी क्लैन, जो एक वेबसाइट क्लेक्सॉन के सम्पादक हैं, ने एक खबर में इस समझौते का खुलासा किया है. क्लैन के मुताबिक, ये समझौता चीन की वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और पाकिस्तान की डिफेंस, साइंस और टेक्नोलॉजी ऑर्गनाइजेशन के बीच हुआ है.
ऐसा लगता है कि ये केवल ज्वॉइंट रिसर्च के लिए किया गया एक समझौता होगा, जो ‘उभरती संक्रामक बीमारियो’ पर होगी, लेकिन एंथनी क्लैन दावा करते हैं कि ये समझौते से ज्यादा एक कुटिल एजेंडा है. ये प्रोग्राम पूरी तरह चीन द्वारा वित्तपोषित है, और इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है क्योंकि चीन पाकिस्तान में काफी कुछ निवेश करता रहा है. इस समझौते के तहत चीन को चीन की सीमाओं के बाहर यानी पाकिस्तान में भी जैविक एजेंट्स पर परीक्षण करने की इजाजत मिल गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, ये एक गुप्त सौदा है, जिसकी जानकारी दुनियां से छुपाई जा रही है. पाकिस्तान में एक सीक्रेट जगह है जहां रोग फैलाने वाले घातक कीटाणुओं (पैथोजेन) से जुड़े कई रिसर्च प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं. पैथोजेन एंथ्रेक्स की तरह हैं, जिनका इस्तेमाल जैविक हथियार के रूप में किया जा चुका है. संवाददाता ने एंथनी क्लैन से बातचीत की, उसने कहा कि नई दिल्ली को इस तरफ ध्यान देना चाहिए क्योंकि ये मसला भारत के लिए सीधा और बड़ा खतरा है.
क्लैन का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के उद्देश्य और इरादे बिलकुल उलट है, चीन सभी की नजरों से दूर पाकिस्तान के इस गुप्त रिसर्च केन्द्र में तमाम खतरनाक प्रयोग करना चाहता है. चूंकि ये प्रयोग पाकिस्तान जैसी विदेशी भूमि पर लेकिन चीनी कॉलोनी में होंगे तो कल को कुछ गलत हुआ तो चीन अपनी जिम्मेदारी से पल्ला भी आसानी से झाड़ सकता है. क्लैन के मुताबिक वो वुहान केस के बाद अब ये सबक ले चुके हैं कि अपनी जमीन पर नहीं करना है.
पैथोजेन का परीक्षण पाकिस्तान में बेहद ही कम सुरक्षा वाले वाली प्रयोगशाला में किया जा रहा है. साइंस में बायोसेफ्टी लेवल 4 सबसे बेहतर बायोसेफ्टी बचाव का तरीका माना जाता है, जानलेवा बीमारियों (जिनके वायरस आसानी से दूसरे के शरीर में चले जाते हैं), से जुड़े परीक्षण हमेशा बायोसेफ्टी लेवल 4 की सुरक्षा में ही किए जाने चाहिए.
वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में बायोसेफ्टी लेवल 4 था और अब तक सवाल उठाए जा रहे हैं कि इसके मानकों और सुरक्षा के नियमों का पालन भी किया जा रहा था या नहीं? रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान ऐसी प्रयोगशालाओं में ये रिसर्च टेस्ट कर रहा है, जो खतरनाक स्तर के वायरसों से निपटने के लिए सुसज्जित नहीं हैं. चीन पाकिस्तान में बिना किसी जरूरी सावधानियों के एक और वायरस बैंक तैयार कर रहा है.
एक या दूसरे तरीके से, ये एक और बड़ी घटना के होने से पहले की दस्तक है, अगर वो जैविक हथियार बनाते हैं तो ये बड़ा खतरा है, लेकिन अगर वहां की सुरक्षा भंग होती है तो ये पूरी दुनियां के लिए खतरनाक हो सकता है.