क्या करोना ही सबसे बड़ा खतरा है?
आजकल दुनिया भर के डॉक्टर वैज्ञानिक देश - विदेश, के स्वास्थ्य संगठन, मीडिया, पुलिस करोना जैसे- महामारी से लोगों को बचाने का उपाय ढूंढ रहा है, भारत और अन्य देशों में लॉकडाउन लगाया गया है| लॉकडाउन सख्त होने के कारण देश के सभी सेवाएं बंद कर दी गई इस स्थिति में लोगों का सजीवन अस्त व्यस्त हो गया, जो जहां पर वही फस गया, घूमने, पढ़ने या काम करने के कारण गए लोग वही रह गए, और तो और गरीब श्रमिक वर्ग जो रोज कमाते थे रोज खाते थे, स्थाई रहने का साधन नहीं, उन सभी को अब कठिनाइयों का सामना करने से मजबूर होना पड़ा|
इसके बाद देश में अनेक दिल को दहला देने वाली घटनाएं सामने आई , कई दिनों तक भूखा या पैसे की कमी के करण बड़े महानगरों से दिल्ली, मुंबई, गुजरात से अपने घर की तरफ यात्रा प्रारंभ कर दिया, और कुछ लोग साइकिल से चला प्रारंभ किया, जिसमें एक 13 वर्षीय लड़की नेहा के पिता का एक्सीडेंट हुआ था इससे वह अपने पिता को साइकिल पर बैठाकर सैकड़ों किमी 7 दिनों तक यात्रा की जिससे घर पहुंची लोग उसके बाद, इस बच्ची की सराहना करते हैं| क्या सही है? जब वह रास्ते में थी तब सरकारी संगठन, पुलिस, मीडिया कहां पर था?
और भी ऐसे दर्दनाक घटना सामने आई जिसमें लोग चले तो पर घर ना पहुंचे
चाहे मध्य प्रदेश के ट्रक पलटने की घटना हो, चाहे पैदल यात्रा करने वाली रेल पटरी के माध्यम से वही पर सो गए ,यह सोचकर लॉकडाउन में ट्रेन नहीं चलती, और सुबह सोए रहने पर ट्रेन आई और सभी कट गए वहीं पर जिससे सभी की मौत हो गई,ऐसे और भी दुखद घटना सामने आई|हमारी सरकार, पुलिस ,डॉक्टर, अन्य कर्मचारी ,मीडिया, प्राइवेट सगठन, तो साथ दे रहे हैं परंतु इसमें कुछ समाज के एसे भी लोगों है जो लोगो का हक भी खा रहे हैं|
आमतौर पर देखा जाए तो करोना एक बेसिक बीमारी है इस पर लोग स्वयं पर नियंत्रण रखकर, सरकारी नियमों का पालन करके इस से बच सकते हैं, यहां खुद दूसरे के पास नहीं आता, जब तक की आप स्वयं ना लाओ, देश के लिए यही सबसे बड़ी संकट नहीं है इससे भी बड़ी संकट हो सकती है|
इस वायरस से देखा जाए तो 100 लोगों के संक्रमित होने पर दो या तीन की मौत होती है, जबकि स्वाइन फ्लू, एड्स, कैंसर, मरने वालों की संख्या इसकी तुलना में अधिक है|
कोवेट -19 से हम निपट सकते हैं|
हम तब कैसे बच सकते हैं जब आज का समाज कारखानों, खतरनाक रासायनिक उर्वरक, परमाणु बम, अनेक मिसाइल, के द्वारा किसी दिन पूरे दुनिया के वायुमंडल में वायु में जहर फैल जाए तब हम कैसे बच सकते हैं, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यह हमारा देश इससे निपटने के लिए सक्षम है|
भोपाल में जब आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था,क्या वह घटना लोग भूल रहे हैं, और हाल ही में विशाखापट्टनम में जब कारखाने से गैस रिसाव हुआ तो कुछ लोग मर गए, और बाद में पता चला किस क्षेत्र में लगभग दो ,तीन किमी दूर की इलाकों में लोगों को इस कंपनी के प्रभाव से लोग बहुत प्रभावित हुए थे पता चलता है की आंखों में जलन, शरीर का लाल होना, काफी देखने को मिलता है, क्या इससे हम दुनिया को बचा सकते हैं अगर इस समाज पर हवा मैं कोई विषैला जहाज कंपनियों से मिल जाए तो क्या इस समाज को बचाया जा सकता है|
अरुण कुमार बस्ती