UP, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में सोमवार को 69 हजार शिक्षकों की भर्ती मामले में राज्य सरकार, शिक्षा विभाग और अन्य की तीन विशेष अपीलों पर सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने इस पर फैसला सुरक्षित रखते हुए पक्षकारों की अपीलों पर आपत्तियां व जवाब दाखिल करने के लिए 9 जून तक का समय दे दिया।
गौरतलब है कि एकल न्यायाधीश के 3 जून के उस आदेश के खिलाफ अपील की गई है, जिसमें शिक्षक भर्ती पर 12 जुलाई तक अंतरिम रोक लगाते हुए विवादित सवालों को विशेषज्ञ समिति को भेजकर रिपोर्ट तलब की गई थी।
अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रणविजय सिंह के जरिये ये अपीलें परीक्षा नियामक प्राधिकरण, यूपी बेसिक शिक्षा बोर्ड, राज्य सरकार और राज्य शैक्षिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान परिषद ने दायर की हैं।
इनमें याचियों रिषभ मिश्र, अशीष कुमार, अमिता मिश्रा व अमित कुमार पटेल को पक्षकार बनाया गया है। इनके वकील अमित सिंह ने बताया कि उन्होंने पहली अपील पर आपत्ति दाखिल कर दी है।
'सिर्फ पांच सवालों को विवादास्पद बताते हुए चर्चा की'
सोमवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने तर्क दिया कि एकल न्यायाधीश ने सिर्फ पांच सवालों को विवादास्पद बताते हुए चर्चा की। इसके बावजूद पूरी अस्थायी उत्तर कुंजी को आपत्तियों के साथ यूजीसी के विशेषज्ञों की समिति को भेजकर रिपोर्ट मांगी है। जबकि यह किसी याचिका में नहीं था।
महाधिवक्ता ने कहा, एकल न्यायाधीश ने याचिकाओं में मांगी गई राहत से परे जाकर आदेश दिए हैं। ऐसे में 3 जून का आदेश कानून की नजर में ठहरने लायक नहीं है। वहीं, इससे खाली पदों के भरने में देरी होगी, जो व्यापक जनहित में नहीं होगा। इसके साथ ही उन्होंने कोर्ट से इस आदेश के अमल पर रोक लगाने का अनुरोध किया।
उधर, याची व पक्षकारों के वकील डॉ. एलपी मिश्र, जेएन माथुर, एचजीएस परिहार व अन्य ने अपीलों का विरोध किया और इनके सुनवाई लायक होने के बिंदुओं पर आपत्ति की। साथ ही, आपत्ति दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय दिए जाने का अनुरोध किया।