लाक डाउन के फैसले एवं कुछ अन्य फैसले अब राज्य सरकारों की सहमति से,



तीन मई के बाद लॉक डाउन की अवधि बढ़ाने के बारे में फैसला अब राज्य सरकारें ले सकेंगी। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने बिना राज्यों की सहमति लिए लॉकडाउन लागू कर दिया था। दूसरे चरण का लॉकडाउन की सीमा खत्म होने के पहले ही राज्यों के बीच आवाजाही की बहाली दुकाने एवं औद्योगिक प्रतिष्ठान खोलने के बारे में राज्य सरकार ने स्वयं निर्णय लें। मजदूरों, छात्रों,कामगारों, मरीजों को लॉक डाउन पीरियड लागू हो जाने के कारण विभिन्न राज्यों में फंसे लोग अपने घरों को नहीं जा पा रहे थे। इसको लेकर केंद्र सरकार के ऊपर राज्यों का काफी दबाव पड़ रहा है। राज्य सरकारों के बीच विवाद भी खुलकर सामने आने लगे हैं।
लॉकडाउन के दौरान राज्यों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हुई है। राज्यों द्वारा केंद्र पर उसकी भरपाई करने का दबाव बनाया जा रहा है। केंद्र सरकार ने कोरोनावायरस के संक्रमण की जांच करने एवं स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए उपकरण राज्यों को दिए थे। किंतु टेस्टिंग किट की क्वालिटी को लेकर केंद्र सरकार पर राज्यों ने दबाव बनाकर हमले करने शुरू कर दिए हैं। वहीं भाजपा शासित राज्य भी आर्थिक भरपाई करने की मांग कर रहे हैं।जिसके कारण केंद्र सरकार दबाव में आ गई है।



सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार अब लॉक डाउन के मामले में राज्यों को निर्णय करने के अधिकार देगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आज जो निर्देश जारी किए हैं। उसमें प्रभावित दोनों राज्य आपसी सहमति से छात्रों कामगारों और जो व्यक्ति अन्य राज्यों में फंसे हैं। वह आपसी सहमति से पास जारी कर ले जा सकेंगे। इसी तरह लॉक डाउन पीरियड में राज्य सरकारें अपने राज्य की स्थिति का आकलन करते हुए परिवहन, आवाजाही, बाजार खोलने इत्यादि के बारे में निर्णय करें। केंद्र सरकार में इस तरह का विचार विमर्श चल रहा है। जल्द ही केंद्र सरकार राज्यों को अधिकार देगी कि वह अपने राज्य के निर्णय स्वयं करें।